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दुनिया भर में 12 से 18 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है. एक रिसर्च के अनुसार भारत में लगभग हर आठवां व्यक्ति ग्लूकोमा से पीड़ित है. अनुमानतः 1.12 करोड़ भारतीयों को यह बीमारी है और 11 लाख लोग इसकी वजह से अंधे हो गए हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. चिंता की बात यह है कि आधे से ज्यादा लोग अपनी स्थिति के बारे में अनजान हैं.
देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में भी मंगलवार से ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है. दून मेडिकल कॉलेज में सीनियर एसोसिएट प्रोफ़़ेसर डॉक्टर सुशील कुमार ओझा ने बताया कि नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर यूसुफ़ रिज़वी के नेतृत्व में यहां रोज़ करीब 200 मरीज़़ों की आंखों का परीक्षण किया जा रहा है.
मंगलवार और बुधवार को, दोनों दिन, 15-15 मरीज़ ऐसे मिले जिनमें ग्लूकोमा के लक्षण दिखाई दिए हैं. डॉक्टर ओझा ने बताया कि इन मरीज़ों पर नज़र रखी जाएगी और उनके आगे परीक्षण किए जाएंगे.
इसके अलावा दो मरीज़ ऐसे हैं, जिनका तत्काल इलाज शुरू किया जा रहा है.
डॉक्टर ओझा ने बताया कि ग्लूकोमा के लक्षणों में सिर दर्द, धुंधलापन और रोशनी के चारों तरफ अलग-अलग रंग दिखाई देना है.
इसके अलावा जब जब भी यह महसूस हो कि देखने का दायरा धीरे-धीरे कम होने लगता है तो तुरंत नेत्र चिकित्सक के पास जाना चाहिए क्योंकि यह इस बीमारी के लपेटे में आने के लक्षण हैं.
यह मर्ज़ 40 साल के बाद होने का ख़तरा बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान नियमित जांच ज़रूरी है. 40 साल के बाद आंखों की जांच समय-समय में कराते रहें. रोज़ाना वर्कआउट करें.